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NCERT Class 8th Hindi Chapter 6 एक टोकरी भर मिट्टी Question Answer
एक टोकरी भर मिट्टी Class 8 Question Answer
कक्षा 8 हिंदी पाठ 6 प्रश्न उत्तर – Class 8 Hindi एक टोकरी भर मिट्टी Question Answer
पाठ से प्रश्न-अभ्यास
(पृष्ठ 78-88)
आइए, अब हम इस पाठ पर विस्तार से चर्चा करें। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी। मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
प्रश्न 1.
ज़मींदार को झोंपड़ी हटाने की आवश्यकता क्यों लगी?
- झोंपड़ी जर्जर हो चुकी थी
- झोंपड़ी रास्ते में बाधा थी
- वह अहाते का विस्तार करना चाहता था
- वृद्धा से उसका कोई पुराना झगड़ा था
उत्तर:
- वह अहाते का विस्तार करना चाहता था
प्रश्न 2.
वृद्धा ने मिट्टी ले जाने की अनुमति कैसे माँगी ?
- क्रोध और झगड़ा करके
- अदालत से अनुमति लेकर
- विनती और नम्रता से
- चुपचाप उठाकर ले गई
उत्तर:
- विनती और नम्रता से
प्रश्न 3.
वृद्धा की पोती का व्यवहार किस भाव को दर्शाता है ?
- दया
- लगाव
- गुस्सा
- डर
उत्तर:
- लगाव
प्रश्न 4.
कहानी का अंत कैसा है?
- दुखद
- सुखद
- प्रेरणादायक
- सकारात्मक
उत्तर:
- सुखद
- प्रेरणादायक
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर:
मित्रों के साथ चर्चा करने के बाद हमने यह निष्कर्ष निकाला कि यह उत्तर पूर्णत: सही है क्योंकि यह सभी पाठ के अनुरूप है । पाठ को पढ़कर और भावों को समझकर ही मैंने यह सारे उत्तर चुने हैं।
मिलकर करें मिलान
(क) पाठ में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। प्रत्येक वाक्य के सामने दो-दो निष्कर्ष दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सर्वाधिक उपयुक्त निष्कर्षों से मिलाइए।
उत्तर:
1. 1
2. 2
3. 2
4. 1
5. 2
6. 1
7. 2
8. 1
(ख) मित्रों से चर्चा करने के बाद हमने पाया कि पूछे गए प्रश्नों के उत्तर जो हम सब मित्रों ने दिए हैं वे सब सही हैं, क्योंकि वृद्धावस्था में वृद्धा की पोती ही उसका सहारा थी । ज़मींदार ने वकीलों को पैसे देकर झोंपड़ी पर कब्जा किया था। वृद्धा ने टोकरी को प्रतीक बनाकर ज़मींदार को अन्याय का अनुभव कराया था। धन और अहंकार के कारण ज़मींदार मानवीयता और करुणा से दूर चला गया था ।
उसने अपने किए अन्याय के लिए पछताकर वृद्धा से माफी माँगी। वृद्धा ने प्रतीकात्मक रूप से कहा कि अन्याय का नैतिक भार उठाना आसान नहीं होता । वृद्धा ने ज़मीदार से विनम्र निवेदन किया था कि वह उसकी टोकरी उठाने में सहायता करे और अंत में यह भी सही है कि झोंपड़ी में प्रवेश करते ही वृद्धा पुराने दिनों के कारण भावुक हो गई थी।
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) ‘आपसे एक टोकरी – भर मिट्टी नहीं उठाईं जाती और इस झोंपड़ी में तो हजारों टोकरियाँ मिट्टी पड़ी है। उसका भार आप जन्म-भर कैसे उठा सकेंगे?”
(ख) “ज़मींदार साहब पहले तो बहुत नाराज हुए, पर जब वह बार-बार हाथ जोड़ने लगी और पैरों पर गिरने लगी तो उनके भी मन में कुछ दया आ गई। किसी नौकर से न कहकर आप ही स्वयं टोकरी उठाने को आगे बढ़े। ज्यों ही टोकरी को हाथ लगाकर ऊपर उठाने लगे त्यों ही देखा कि यह काम उनकी शक्ति के बाहर है। ”
उत्तर:
(क) इन पंक्तियों से हमें यह समझ आता है कि वृद्धा ज़मींदार को अप्रत्यक्ष रूप से यह समझाना चाहती थी कि इतने बड़े अन्याय का नैतिक भार उठाना आसान नहीं होता है। ज़मींदार ने उसे झोंपड़ी से बाहर निकालकर नैतिकता के विरुद्ध कार्य किया है।
(ख) इन पंक्तियों का हमें यह अर्थ समझ में आता है कि टोकरी – भर मिट्टी का जो भार था, सो तो था ही किंतु उससे कहीं ज्यादा ज़मींदार के हृदय में यह बात थी कि वह वृद्धा के साथ नैतिकता के आधार पर अन्याय कर रहा है। यही सोच कर उससे टोकरी एक हाथ ऊँची भी नहीं उठाई गई।
सोच-विचार के लिए
पाठ को पुनः ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए।
(क) आपके विचार से कहानी का सबसे प्रभावशाली पात्र कौन है और क्यों?
उत्तर:
मेरे विचार से कहानी की सबसे प्रभावशाली पात्र वृद्धा है क्योंकि उसने ज़मींदार के अत्याचारों का विनम्रता और सहनशीलता से सामना किया। अंत में बड़ी ही सहजता से उसने ज़मींदार को उसकी गलती का एहसास भी दिलवाया।
(ख) वृद्धा की पोती ने खाना क्यों छोड़ दिया था ?
उत्तर:
वृद्धा की पोती ने खाना इसलिए छोड़ दिया था क्योंकि ज़मींदार ने उनकी झोंपड़ी पर कब्ज़ा कर लिया था। उसे अपनी झोंपड़ी से बहुत लगाव था।
(ग) ज़मींदार ने झोंपड़ी पर कब्जा कैसे किया?
उत्तर:
ज़मींदार ने वकीलों को पैसा देकर कानूनी दावपेंच से झोंपड़ी पर कब्जा कर लिया।
(घ) “महाराज क्षमा करें तो एक विनती है। ज़मींदार साहब के सिर हिलाने पर उसने कहा… ” । यहाँ ज़मींदार द्वारा सिर हिलाने की इस क्रिया का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
यहाँ सिर हिलाने की क्रिया का अर्थ ‘अनुमति देने से है अर्थात उन्होंने सिर हिलाकर वृद्धा को उसकी बात करने की अनुमति दी । ‘
(ङ) “किसी नौकर से न कहकर आप ही स्वयं टोकरी उठाने आगे बढ़े।” यहाँ ज़मींदार के व्यवहार में परिवर्तन का आरंभ दिखाई देता है। पहले ज़मींदार का व्यवहार कैसा था ? इस घटना के बाद उसके व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
पहले ज़मींदार का व्यवहार अन्यायपूर्ण तथा रूखा था। इस घटना के बाद उसके मन में करुणा और दया जैसे भाव आ गए। उसके अंदर दबी मानवीयता जाग उठी।
(च) “उन्होंने वृद्धा से क्षमा माँगी और उसकी झोंपड़ी वापस दे दी। ” ज़मींदार ने ऐसा क्यों किया?
उत्तर:
ज़मींदार को अपने द्वारा वृद्धा पर किए गए अन्याय का एहसास हो गया था। इसलिए उसने पश्चाताप करते हुए वृद्धा से माफी माँगी और उसकी झोंपड़ी उसे वापिस दे दी।
अनुमान और कल्पना से
(क) यदि वृद्धा की पोती ज़मींदार से स्वयं बात करती तो वह क्या कहती?
उत्तर:
यदि वृद्धा की पोती ज़मींदार से बात करती तो वह कहती कि यह झोंपड़ी हमारी है और मुझे इससे बहुत लगाव है। मैं जब से जन्मी हूँ, यहीं रही हूँ इसलिए कृपया आप इसे हमसे न लें।
(ख) यदि आप ज़मींदार की जगह होते तो क्या करते?
उत्तर:
यदि मैं ज़मींदार की जगह होता तो एक असहाय वृद्धा जो अपनी पाँच बरस की पोती के साथ रहती है, उसे उसकी झोंपड़ी से कभी नहीं निकालता।
(ग) ज़मींदार को टोकरी उठाने में सफलता क्यों नहीं मिली होगी ?
उत्तर:
उसे सफलता इसलिए नहीं मिली होगी क्योंकि वृद्धा के बार-बार हाथ जोड़ने और पैरों पर गिरने के कारण उसके मन में दया आ गई थी। उसे कहीं यह एहसास हो गया था कि उसने वृद्धा के साथ अन्याय किया है।
(घ) “झोंपड़ी में तो हजारों टोकरियाँ मिट्टी पड़ी है…. ” । यहाँ केवल मिट्टी की बात की जा रही है या कुछ और बात भी छिपी है?
(संकेत – मिट्टी किस बात का प्रतीक हो सकती है ? मिट्टी के बहाने वृद्धा क्या कहना चाहती है ?)
उत्तर:
यहाँ केवल मिट्टी की बात नहीं की जा रही है। इस कथन के द्वारा वृद्धा ज़मींदार को कहना चाहती है कि आप मेरी झोंपड़ी हथिया रहे हैं। इस अपराध का बोझ जीवन-भर आप कैसे उठा पाएँगे? अन्याय का नैतिक भार उठाना आसान नहीं होता ।
(ङ) यह कहानी आज से लगभग सवा सौ साल पहले लिखी गई थी। इस कहानी के आधार पर बताइए कि भारत में स्त्रियों को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता होगा ?
उत्तर:
उस समय भारतीय समाज में स्त्रियों को बहुत-सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था । शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक अधिकारों से उन्हें दूर रखा जाता था। वे केवल घरेलू कार्यों तक ही सीमित थीं। इसके अतिरिक्त बाल-विवाह, और पर्दा प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों से भी वे पीड़ित थीं। यह सभी चुनौतियाँ उसे आगे बढ़ने से रोकती थीं। पुरुषों की तुलना में उन्हें कमतर आंका जाता था।
बदली कहानी
कल्पना कीजिए कि कहानी कैसे आगे बढ़ती-
- यदि ज़मींदार टोकरी उठाने से मना कर देता
- यदि ज़मींदार टोकरी उठा लेता
- यदि ज़मींदार मिट्टी देने से मना कर देता
- यदि ज़मींदार एक स्त्री होती
- यदि पोती ज़मींदार से अपनी झोंपड़ी वापस माँगती।
अपने समूह के साथ इनमें से किसी एक स्थिति को चुनकर चर्चा कीजिए। इस बदली हुई कहानी को मिलकर लिखिए।
उत्तर:
- यदि ज़मींदार टोकरी उठाने से मना कर देता तो असहाय वृद्धा अकेली पड़ जाती और अकेले वह उस टोकरी को अपने सिर पर नहीं रख पाती। इस कारण शायद वह चूल्हा बनाने के लिए अपनी झोंपड़ी की मिट्टी भी न ले जा पाती। चूल्हा नहीं बनता तो उसकी पोती खाना भी नहीं खाती। यह बात वृद्धा के लिए अत्यंत कष्टकारी होती।
- यदि ज़मींदार टोकरी उठा लेता तो वृद्धा मिट्टी से भरी टोकरी को अपने साथ ले जाती। उस मिट्टी से चूल्हा बनाकर कम-से-कम अपनी पोती को खाना खिला पाती। उसका झोंपड़ी छीने जाने का दुख शायद थोड़ा कम हो जाता।
- यदि ज़मींदार मिट्टी देने से मना कर देता तो भी वृद्धा को अधिक आश्चर्य नहीं होता, लेकिन उसे इस बात का दुख अवश्य होता कि वह अपनी पोती को रोटी खिलाने के लिए अपनी झोंपड़ी की मिट्टी भी नहीं ला पाई ।
- यदि ज़मींदार एक स्त्री होती तो शायद ऐसी नौबत ही नहीं आती। एक स्त्री दूसरी असहाय स्त्री का दर्द समझती। वह समझती कि इस वृद्धावस्था में अपनी पाँच बरस की पोती को बड़ा करने में ही वृद्धा को अनेकों कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा होगा। ऐसा समझकर वह उनकी झोंपड़ी भी उनसे नहीं लेती। वृद्धा खुशी-खुशी अपनी झोंपड़ी में अपनी पोती के साथ रहती । वह समझती कि किसी के जीवन से बड़ी मेरी महल का अहाता आगे बढ़ाने की इच्छा नहीं हो सकती।
- कहानी की शुरुआत में ज़मींदार लालची, स्वार्थी और अन्यायी दिखाई पड़ता है। उसने वृद्धा के लाख गिड़गिड़ाने पर भी उसकी एक बात न सुनी तो उसकी पाँच बरस की पोती की बात क्या ही सुनता। उसे तो वह यूँ ही डाँट फटकार कर भगा देता।
‘कि’ और ‘की’ का उपयोग
इन वाक्यों में रेखांकित शब्दों के प्रयोग पर ध्यान दीजिए –
अब नीचे दिए गए वाक्यों में इन दोनों शब्दों का उपयुक्त
प्रयोग कीजिए-
प्रश्न 1.
वृद्धा ने कहा ………… नहीं आई है।
वह झोंपड़ी को लेने
उत्तर:
कि
प्रश्न 2.
वह अपनी पोती ………… चिंता में दुखी हो गई थी।
उत्तर:
की
प्रश्न 3.
वृद्धा ने प्रार्थना ……….. टोकरी को ज़रा हाथ लगाइए।
उत्तर:
की,
प्रश्न 4.
पोती हमेशा कहती थी …………. वह अपने घर में ही खाना खाएगी।
उत्तर:
कि
प्रश्न 5.
झोंपड़ी ……….. मिट्टी से वृद्धा चूल्हा बनाना चाहती थी।
उत्तर:
की
प्रश्न 6.
उसे विश्वास था ……….. मिट्टी का चूल्हा देखकर पोती खाना खाने लगेगी।
उत्तर:
कि
प्रश्न 7.
वृद्धा ………… आँखों से आँसुओं ………. धारा बहने लगी।
उत्तर:
की, की
प्रश्न 8.
उसने यह सोचा ………… झोंपड़ी से मिट्टी ले जाकर चूल्हा बनाऊँगी।
उत्तर:
कि
प्रश्न 9.
वृद्धा के मन ………… पीड़ा उसकी बातों में झलक रही थी।
उत्तर:
की
प्रश्न 10.
ज़मींदार इतने लज्जित हुए ……….. टोकरी उठाने की बात मान ली।
उत्तर:
कि
प्रश्न 11.
उस झोंपड़ी ………… हर दीवार वृद्धा ………. यादों से भरी थी।
उत्तर:
की, की
मुहावरे
“बाल की खाल निकालने वाले वकीलों की थैली गरम कर उन्होंने अदालत से झोंपड़ी पर अपना कब्जा कर लिया।”
(क) इस वाक्य में मुहावरों की पहचान करके उन्हें रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
- बाल की खाल निकालना ।
- थैली गरम करना
- कब्जा करना।
(ख) ‘बाल’ शब्द से जुड़े निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।
- बाल बाँका न होना – कुछ भी कष्ट या हानि न पहुँचना । पूर्ण रूप से सुरक्षित रहना ।
- बाल बराबर – बहुत सूक्ष्म । बहुत महीन या पतला।
- बाल बराबर फर्क होना – ज़रा सा भी भेद होना । सूक्ष्मतम अंतर होना ।
- बाल-बाल बचना – कोई विपत्ति आने या हानि पहुँचने में बहुत थोड़ी कमी रह जाना ।
उत्तर:
- बाल बाँका न होना – जिसकी रक्षा ईश्वर करते हैं उसका बाल भी बाँका नहीं हो सकता।
- बाल बराबर – उसकी हड्डी में बाल बराबर दरार आ गई है।
- बाल बराबर फर्क होना – रमेश और रवि दोनों के अंकों में बाल बराबर फर्क ही था किंतु फिर भी रमेश ने प्रथम आकर बाज़ी मार ली।
- बाल-बाल बचना – विमान दुर्घटना में सभी यात्री बाल-बाल बच गए।
काल
नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए-
- इस झोंपड़ी में से एक टोकरी भर मिट्टी लेकर उसी का चूल्हा बनाकर रोटी पकाऊँगी ।
- इस झोंपड़ी में से एक टोकरी भर मिट्टी लेकर उसी का चूल्हा बनाकर रोटी पकाई ।
- इस झोंपड़ी में से एक टोकरी भर मिट्टी लेकर उसी का चूल्हा बनाकर रोटी पका रही हूँ।
यहाँ रेखांकित शब्दों से पता चल रहा है कि कार्य होने का समय या काल क्या है। क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि कोई कार्य कब हुआ, हो रहा है या होने वाला है, उसे काल कहते हैं।
काल के तीन भेद होते हैं-
- भूतकाल – यह बताता है कि कार्य पहले ही हो चुका है।
- वर्तमान काल – यह बताता है कि कार्य अभी हो रहा है या सामान्य रूप से होता रहता है।
- भविष्य काल – यह बताता है कि कार्य आने वाले समय या भविष्य में होगा ।
नीचे दिए गए वाक्यों को वर्तमान और भविष्य काल में बदलिए-
(क) वह गिड़गिड़ाकर बोली ।
(ख) श्रीमान् ने आज्ञा दे दी।
(ग) उसकी आँखों से आँसू की धारा बहने लगी ।
(घ) ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हुई।
(ङ) उन्होंने वृद्धा से क्षमा माँगी और उसकी झोंपड़ी वापस दे दी।
उत्तर:
(क)
- वह गिड़गिड़ाकर बोल रही है। (वर्तमान काल)
- वह गिड़गिड़ाकर बोलेगी। (भविष्य काल)
(ख)
- श्रीमान् आज्ञा दे रहे हैं। (वर्तमान काल)
- श्रीमान् आज्ञा देंगे। (भविष्य काल)
(ग)
- उसकी आँखों से आँसुओं की धारा बह रही है। (वर्तमान काल)
- उसकी आँखों से आँसुओं की धारा बहेगी। (भविष्य काल)
(घ)
- ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हो रही है। (वर्तमान काल)
- ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा होगी। (भविष्य काल)
- वे वृद्धा से क्षमा माँग रहे हैं और उसकी झोंपड़ी वापस दे रहे हैं। (वर्तमान काल)
(ङ)
- वे वृद्धा से क्षमा माँगेंगे और उसकी झोंपड़ी वापस दे देंगे। (भविष्य काल)
वचन की पहचान
‘उनके मन में कुछ दया आ गई।”
“उनकी आँखें खुल गईं।”
ऊपर दिए गए रेखांकित शब्दों में क्या अंतर है और क्यों ? आपस में चर्चा करके पता लगाइए।
आपने ध्यान दिया होगा कि शब्द में एक अनुस्वार-भर के अंतर से उसके अर्थ में अंतर आ जाता है।
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में उपयुक्त शब्द भरिए-
(क) वृद्धा झोंपड़ी के भीतर ………….| (गई / गईं)
उत्तर:
गई
(ख) वृद्धा गिड़गिड़ाकर ………..। (बोली/ बोलीं)
उत्तर:
बोली
(ग) पोती ने खाना-पीना छोड़ दिया ………..। (है/हैं)
उत्तर:
है
(घ) उसकी आँखों से आँसू की धारा बहने लगी ………….। (थी/थीं)
उत्तर:
थी
(ङ) उसने अपनी टोकरी मिट्टी से भर ली और बाहर ले ……….। (आई/आईं)
उत्तर:
आई
(च) झोंपड़ी में बसी पुरानी यादें वृद्धा को रुला ……….। (गई/गईं)
उत्तर:
गईं
(छ) पाठक देख सकते हैं कि कैसे एक छोटी-सी टोकरी ने बड़े बदलाव ला दिए …………। (है/हैं)
उत्तर:
हैं
कहानी की रचना
“यह सुनकर वृद्धा ने कहा, “महाराज, नाराज न हों तो…”
इस पंक्ति में लेखक ने जानबूझकर वृद्धा की कही हुई बात को अधूरा छोड़ दिया है। बात को अधूरा छोड़ने के लिए ‘…’ का उपयोग किया गया है। इस प्रकार के वाक्यों और प्रयोगों से कहानी का प्रभाव और बढ़ जाता है । अनेक बार कहानी में नाटकीयता लाने के लिए भी इस प्रकार के प्रयोग किए जाते हैं।
(क) आपको इस कहानी में ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी। उन्हें अपने समूह के साथ मिलकर ढूँढ़िए और उनकी सूची बनाइए ।
उत्तर:
(ख) इस कहानी की कुछ विशेषताओं को नीचे दिया गया है। इनके उदाहरण कहानी से चुनकर लिखिए-
उत्तर:
- प्रश्नोत्तरी शैली – “महाराज, नाराज न हों… आपसे तो एक टोकरी भर मिट्टी उठाई नहीं जाती तो इस झोंपड़ी में तो हजारों टोकरियाँ मिट्टी पड़ी है। उसका भार आप जन्म-भर कैसे उठा सकेंगे?
- वर्णनात्मकता –
- जब से झोंपड़ी छूटी है, तब से मेरी पोती ने खाना-पीना छोड़ दिया है। मैंने बहुत कुछ समझाया, पर वह एक नहीं मानती । यही कहा करती है कि अपने घर चल, वहीं रोटी खाऊँगी। अब मैंने सोचा है कि इस झोंपड़ी में से एक टोकरी – भर मिट्टी लेकर उसी का चूल्हा बना रोटी पकाऊँगी। इससे भरोसा है कि वह रोटी खाने लगेगी।
- वृद्धा झोंपड़ी के भीतर गई। वहाँ जाँते ही उसे पुरानी बातों का स्मरण हुआ और उसकी आँखों से आँसू की धारा बहने लगी। अपने आंतरिक दुख को किसी तरह सँभालकर उसने अपनी टोकरी मिट्टी से भर ली और हाथ से उठाकर बाहर ले आई।
- भावात्मकता
- जब उसे अपनी पूर्व स्थिति की याद आती तो मारे दुख के फूट-फूटकर रोने लगती थी और जब से उसने अपने श्रीमान् पड़ोसी की इच्छा का हाल सुना, तब से वह मृतप्राय हो गई थी।
- कृतकर्म का पश्चाताप कर उन्होंने वृद्धा से क्षमा माँगी और उसकी झोंपड़ी वापिस दे दी।
- संवादात्मकता –
- जब से यह झोंपड़ी छूटी है, तब से ही मेरी पोती ने खाना-पीना छोड़ दिया है। मैंने उसे बहुत कुछ समझाया, पर वह एक नहीं मानती।
- महाराज, कृपा इस टोकरी को ज़रा हाथ लगाइए जिससे कि मैं इसे सिर पर धर लूँ ।
- “नहीं, यह टोकरी हमसे न उठाई जाएगी।”
- आपसे तो एक टोकरी – भर मिट्टी उठाई नहीं जाती और इस झोंपड़ी में तो हज़ारों टोकरियाँ मिट्टी पड़ी है। उसका भार आप जन्म-भर कैसे उठा सकेंगे?
- नाटकीयता-
- श्रीमान् के सब प्रयत्न निष्फल हुए, तब वे अपनी ज़मींदारी चालें चलने लगे। बाल की खाल निकालने वाले वकीलों की थैली गरम कर उन्होंने अदालत से उस झोंपड़ी पर कब्जा कर लिया और वृद्धा को वहाँ से निकाल दिया।
- एक दिन श्रीमान् उस झोंपड़ी के आस-पास टहल रहे थे और लोगों को काम बतला रहे थे कि इतने में वह वृद्धा हाथ में एक टोकरी लेकर वहाँ पहुँची। श्रीमान् ने उसको देखते ही नौकरों से कहा कि उसे यहाँ से हटा दो।
- चरित्र चित्रण –
- श्रीमान् के सब प्रयत्न निष्फल हुए, तब वे अपनी ज़मींदारी चालें चलने लगे। बाल की खाल निकालने वाले वकीलों की थैली गरम कर उन्होंने अदालत से उस झोंपड़ी पर कब्जा कर लिया और वृद्धा को वहाँ से निकाल दिया।
शब्दकोश का उपयोग
आप जानते ही हैं कि हम शब्दकोश का प्रयोग करके शब्दों के विषय में अनेक प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। नीचे कुछ शब्दों के अनेक अर्थ शब्दकोश से चुनकर दिए गए हैं। इन शब्दों के जो अर्थ इस कहानी के अनुसार सबसे उपयुक्त हैं, उन पर घेरा बनाइए –
उत्तर:
भावों की पहचान
“ कृतकर्म का पश्चाताप कर उन्होंने वृद्धा से क्षमा माँगी…”
कहानी की इस पंक्ति से कौन-कौन-से भाव प्रकट हो रहे हैं? सही पहचाना, इस पंक्ति से पश्चाताप और क्षमा के भाव प्रकट हो रहे हैं। अब नीचे दी गई पंक्तियों में प्रकट हो रहे भावों से उनका मिलान कीजिए-
उत्तर:
1. (e)
2. (j)
3. (h)
4. (f)
5. (c)
6. (a)
7. (d)
8. (g)
9. (b)
10. (i)
वाक्य विस्तार
‘वृद्धा पहुँची।’
यह केवल दो शब्दों से बना एक वाक्य है लेकिन हम इस वाक्य को बड़ा भी बना सकते हैं- ‘वह वृद्धा हाथ में एक टोकरी लेकर वहाँ पहुँची । ‘ ‘अब बात कुछ अच्छी तरह समझ में आ रही है। किंतु इसी वाक्य को हम और विस्तार भी दे सकते हैं, जैसे- ‘थकी हुई आँखों और काँपते हाथों में टोकरी लिए वृद्धा धीरे-धीरे दरवाजे पर पहुँची ।’
अब यह वाक्य अनेक अर्थ और भाव व्यक्त कर रहा है। अब इसी प्रकार नीचे दिए गए वाक्यों का कहानी को ध्यान में रखते हुए विस्तार कीजिए । प्रत्येक वाक्य में लगभग 15-20 शब्द हो सकते हैं।
प्रश्न 1.
एक झोंपड़ी थी।
उत्तर:
वृद्धा के पास एक ही झोंपड़ी थी। उस पर भी ज़मींदार ने कानूनी दावपेंच से कब्जा कर लिया था।
प्रश्न 2.
श्रीमान् टहल रहे थे।
उत्तर:
एक दिन श्रीमान् झोंपड़ी के बाहर टहल रहे थे कि इतने में वृद्धा झोंपड़ी की मिट्टी लेने टोकरी लेकर पहुँची।
प्रश्न 3.
वह खाने लगेगी।
उत्तर:
वृद्धा को पूरा विश्वास था कि झोंपड़ी की मिट्टी से बने चूल्हे की रोटी उसकी पोती खाने लगेगी।
प्रश्न 4.
वृद्धा भीतर गई ।
उत्तर:
ज़मींदार से अनुमति लेकर वृद्धा झोंपड़ी के भीतर टोकरी – भर मिट्टी लेने गई ।
प्रश्न 5.
आगे बढ़े।
उत्तर:
वृद्धा की टोकरी उठाने के लिए ज़मींदार ने किसी नौकर को नहीं कहा बल्कि स्वयं ही आगे बढ़े।
संवाद फोन पर
(क) कल्पना कीजिए कि यह कहानी आज के समय की है। ज़मींदार वृद्धा की पोती को समझाना चाहता है कि वह जिद छोड़ दे और भोजन कर ले। उसने पोती को फोन किया है। अपनी कल्पना से दोनों की बातचीत लिखिए।
उत्तर:
ज़मींदार – बेटा! मैंने सुना है कि तुम जिद करके बैठी हो कि खाना नहीं खाओगी। क्या हुआ है? मुझे बताओ।
वृद्धा की पोती – मुझे मेरी झोंपड़ी के चूल्हे की बनी रोटी ही खाने में अच्छी लगती है।
ज़मींदार – अच्छा, लेकिन अब तो लोग मिट्टी के चूल्हे के स्थान पर गैस चूल्हे का प्रयोग करते हैं। इसके लिए न तो लकड़ियों की आवश्यकता होती है न ही धुएँ से आँखें खराब होती हैं। तुम्हारी दादी को भी लकड़ियाँ लेने बाहर नहीं जाना पड़ेगा ।
वृद्धा की पोती – सच ! यह तो बहुत अच्छी बात है। दादी बाहर नहीं जाएगी तो थकेगी भी नहीं और उनकी आँखें भी जलेगी नहीं।
ज़मींदार – बिलकुल सही! अब तो अपनी जिद छोड़कर खाना खाओगी न?
वृद्धा की पोती – जी बिलकुल ! आप फोन रखिए, मुझे जोरों की भूख लग रही है।
(ख) कल्पना कीजिए कि ज़मींदार और उसका कोई मित्र वृद्धा की झोंपड़ी हथियाने के बारे में मोबाइल पर लिखित संदेशों द्वारा चर्चा कर रहे हैं। मित्र उसे समझा रहा है कि वह झोंपड़ी न हड़पे । उनकी इस लिखित चर्चा को अपनी कल्पना से भाव मुद्रा (इमोजी) के साथ लिखिए ।
उदाहरण-
- मित्र – इस विचार को छोड़ दो, तुम्हें आखिर किस बात की कमी है?
- ज़मींदार –
मुझे तुमसे उपदेश नहीं सुनना है।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
पोती की भावनाएँ
“मेरी पोती ने खाना-पीना छोड़ दिया है।”
(क) कहानी में वृद्धा की पोती एक महत्वपूर्ण पात्र है, भले ही उसका उल्लेख केवल एक-दो पंक्तियों में ही हुआ है। कल्पना कीजिए कि आप ही वह पोती हैं। आपको अपने घर से बहुत प्यार है। अपने घर को बचाने के लिए जिलाधिकारी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
पोती की भावनाएँ (जिला – अधिकारी को पत्र)
सेवा में,
जिलाधिकारी महोदय
विकासपुरी
नई दिल्ली-110018
दिनाँक- 19-02-20xx
विषय – अवैध कब्ज़े से संबंधित |
महोदय
सविनय निवेदन यह है कि मैं विकासपुरी की निवासी हूँ। मैं यहाँ अपनी दादी के साथ अपने घर में रहती हूँ। किंतु पिछले महीने से हमारे सामने वाले मकान मालिक हमारे घर पर कब्ज़ा करना चाहते हैं। वे हमारे घर में दो बार जबरदस्ती घुस आए थे, उन्हें लगता है कि वे जोर-जबरदस्ती से हमें परेशान करके हमारा घर हथिया लेंगे। मेरा आपसे अनुरोध है कि आप हमारी इस मुसीबत की घड़ी में मदद करें तथा उस मकान मालिक के खिलाफ़ सख्त कार्यवाही करें। आशा है आप अवश्य ही कोई कदम उठाएँगे। हम आपके सदा आभारी रहेंगे ।
धन्यवाद
भवदीय
रिया
R-705, फर्स्ट फ्लोर
विकासपुरी
नई दिल्ली-110018
मोबाइल न. – 9716540001
(ख) मान लीजिए कि वृद्धा की पोती दैनंदिनी (डायरी) लिखा करती थी। कहानी की घटनाओं के आधार पर कल्पना कीजिए कि उसने अपनी डायरी में क्या लिखा होगा ? स्वयं को पोती के स्थान पर रखते हुए वह दैनंदिनी लिखिए। उदाहरण के लिए-
उत्तर:
मेरी दैनंदिनी
2 मई – आज दादी घर पर आईं तो बहुत परेशान थीं। मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि श्रीमान् ज़मींदार ने उन्हें कहा है कि वे अपने महल के अहाते को हमारी झोंपड़ी तक बढ़ाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने पहले भी दादी को अपनी झोंपड़ी हटाने के लिए बहुत बार कहा था । पर दादी नहीं मानी थी। दादी ने मुझे बताया कि उनकी बहुत-सी यादें इस झोंपड़ी से जुड़ी हुई हैं जैसे मेरे दादा, पिताजी और माँ। इन तीनों के साथ दादी ने यहाँ खुशी के दिन बिताए हैं और उनके लिए यह यादें बेहद अनमोल हैं। वे तीनों इसी घर में चल बसे थे। दादी तो मुझे बताते-बताते ही फूट-फूट कर रो पड़ी थीं। दादी अंदर से टूट चुकी हैं उन्हें लग रहा है कि ज़मींदार किसी भी तरह से हमारी झोंपड़ी हथिया ही लेंगे। उम्मीद करती हूँ कि हमारा घर हमसे न छीना जाए।
दादी पर और कोई परेशानी न आए।
कोमल मेहता
पाठ से आगे प्रश्न-अभ्यास
(पृष्ठ 88-90)
आपकी बात
(क) कहानी में वृद्धा की पोती अपने घर से बहुत प्यार करती थी। आपके घर से अपने लगाव का अनुभव बताइए |
(ख) क्या कभी आपको किसी स्थान, वस्तु या व्यक्ति से इतना लगाव हुआ है कि उसे छोड़ना मुश्किल लगा हो ? अपना अनुभव साझा कीजिए ।
(ग) कहानी में ज़मींदार अपने किए पर पश्चाताप कर रहा है। क्या आपने कभी किसी को उनके किए पर पछताते हुए देखा है? उस घटना के बारे में बताइए। यह भी बताइए कि उस पश्चाताप का क्या परिणाम निकला?
(घ) क्या कभी ऐसा हुआ कि आपने कोई काम गुस्से या अहंकार में किया हो और बाद में पछताए हों ? फिर आपने क्या किया? उस अनुभव से आपने क्या सीखा?
उत्तर:
(क) मुझे मेरा घर बहुत प्रिय है। यहाँ मैं सबसे ज्यादा सुरक्षित, प्यार व खुशी महसूस करती हूँ। मैं यहाँ पर अपने मम्मी-पापा और भाई-बहनों के साथ रहती हूँ। मेरा जन्म भी यही पर हुआ था। इस घर में मेरी बचपन की यादें बसी हुई हैं। त्योहारों और समारोहों पर घर को सजाना मेरा पसंदीदा काम है। यह मेरे दिल के बहुत करीब है।
(ख) हाँ, मुझे इतना लगाव शिमला से हो गया था कि उसे छोड़ना मेरे लिए बेहद मुश्किल था। मैं अपनी मम्मी के साथ शिमला गई थी । वहाँ मेरी बुआ जी रहती थीं। शिमला में उन दिनों सर्दियाँ शुरू हुई थी। बर्फबारी हो रही थी। पहली बार मैंने बर्फ को गिरते देखा था। सुबह उठे थे तो भी चारों तरफ सफेद बर्फ की चादर बिछी हुई थी। सच, बड़ी ही मुश्किल से मैं वहाँ से अपने घर आ पाई थी। आज भी वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता मुझे अपनी तरफ खींचती है।
(ग) हाँ, मैंने हमारे साथ वाले घर के मालिक यानि शर्मा अंकल को अपने किए पर पश्चाताप करते देखा है। दरअसल, उनकी काम वाली आंटी अपनी बेटी को अपने साथ ले आती थी। उसे पढ़ने का बहुत शौक था। वह कभी-कभी अंकल के बेटे की किताबें माँग कर पढ़ लेती थी। दोनों छठी कक्षा में थे। एक बार वह अपनी किताबों से पढ़ रही थी।
अंकल ने देखा, उन्हें गुस्सा आ गया और उन्होंने उसकी किताब फाड़ दी। उसे बोल भी दिया कि वह अपनी माँ के साथ न आए। बाद में उनका गुस्सा उतरा तो अगले दिन उन्होंने अपनी कामवाली को बोला कि वो अपनी बेटी को भी लेकर आए। अगले दिन वह बहुत खुश थी और उसने बताया कि शर्मा अंकल ने उसे सॉरी बोला, बहुत प्यार दिया और साथ ही साथ छठी की पूरी किताबें नई लेकर दी।
(घ) हाँ, तब मैं पाँचवी कक्षा में थी जब मैंने गुस्से में किसी का मन दुखाया था। दरअसल हमारे घर के बगीचे में तरह-तरह रंगों के गुलाब फूल खिले हुए थे। हम बाज़ार गए हुए थे। जब वापिस आए तो देखा हमारे पड़ोस में रहने वाली नेहा ने 10-12 फूल टहनियों समेत तोड़ लिए हैं। मुझे देखते ही बहुत गुस्सा आया और मैंने सारे फूल उससे ले लिए और उसे बहुत भला-बुरा भी कहा। बाद में मुझे पता चला कि वह गुलाब के फूल का गुलदस्ता अपनी माँ को उनके जन्मदिन पर देना चाहती थी । बस, मुझे तुरंत अपनी गलती का एहसास हुआ। मैं उसी समय गुलाब के फूलों का गुलदस्ता बनाकर उसे दे आई। वह बहुत खुश हुई और मेरी प्रिय सहेली बन गई।
न्याय और समता
कहानी में आपने पढ़ा कि एक ज़मींदार ने लालच के कारण एक स्त्री का घर छीन लिया।
(क) क्या आपने किसी के साथ ऐसा अन्याय देखा, पढ़ा या सुना है? उसके बारे में बताइए ।
(ख) ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं? आपके आस-पास के लोग क्या-क्या कर सकते हैं?
(ग) “ सच्ची शक्ति दया और न्याय में है ।” इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
(क) हाँ, मैंने अखबार में एक खबर पढ़ी थी कि बेटे ने घर के लालच में अपने ही माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ दिया। उनसे ज़बरदस्ती घर अपने नाम लिखवाकर उन्हें घर से ही निकाल दिया। यह बहुत बुरी और शर्मनाक घटना है। हमें अपने माता – पिता की सेवा करनी चाहिए न कि ऐसा व्यवहार |
(ख) ऐसी स्थितियों का हमें डटकर मुकाबला करना चाहिए। उनके आगे झुकना नहीं चाहिए । हम अपने आस – पड़ोस के लोगों की मदद ले सकते हैं। आस-पास के लोगों के बीच जब बात फैलेगी तो अन्याय करने वाला कुछ भी करने से पहले सौ बार सोचेगा। इसके अतिरिक्त हमें देश की न्याय-व्यवस्था पर भी विश्वास करना चाहिए। हम पुलिस की सहायता भी ले सकते हैं।
(ग) सच्ची शक्ति दया और न्याय में ही निहित होती है। शक्ति का अर्थ होता है- प्रभाव और नियंत्रण तथा न्याय का अर्थ समानता और निष्पक्षता होता है। दया का अर्थ है – दूसरों के प्रति सहानुभूति रखना तथा उनकी मदद करना। यदि शक्ति का प्रयोग केवल अपने लाभ के लिए किया जाए तो यह शोषण और अन्याय का कारण बन सकता है। लेकिन अगर शक्ति का प्रयोग न्याय और दया के साथ किया जाता है तो यह समाज को समृद्ध और मज़बूत बनाता है।
घर – घर की कहानी
क्या आपको अपने घर की कहानी पता है? उसे कब बनाया गया? कैसे बनाया गया? उसे बनाने के लिए कैसे-कैसे प्रयास किए गए? चलिए, अपने घर की कहानी की खोजबीन करते हैं।
अपने घर के बड़े-बूढ़ों से उनके बचपन के घरों के बारे में साक्षात्कार लीजिए। आज आप जिस घर में रह रहे हैं, उसमें वे कब से रह रहें हैं? इसमें आने के पीछे क्या कहानी है, इसके बारे में भी बातचीत कीजिए । कक्षा में अपनी-अपनी कहानियाँ साझा कीजिए।
उत्तर:
मेरे दादाजी ने मुझे हमारे घर के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वह इस घर में मेरे पापा के जन्म से भी पहले आ गए थे। इसी घर में आने के बाद मेरे पापा का जन्म हुआ। इससे पहले वह बहुत बड़े घर में अपने दो भाईयों के साथ रहते थे। उनका संयुक्त परिवार था। फिर परिवार बढ़ा, बच्चे हुए और दादा जी और उनके भाईयों को लगा कि अब वह घर छोटा पड़ने लगा है। तब दादा जी वहाँ से इस नए घर में अपनी पत्नी यानि मेरी दादी माँ के साथ आ गए थे। अभी भी हम छुट्टियों में दादा जी के भाईयों के घर जाते हैं और उनके परिवार भी हमारे यहाँ आते-जाते हैं।
न्याय और करुणा से जुड़ी सहायता
“बाल की खाल निकालने वाले वकीलों की थैली गरम कर उन्होंने अदालत से झोंपड़ी पर कब्जा कर लिया ।”
कहानी के इस प्रसंग को ध्यान में रखते हुए नागरिक शिकायत प्रक्रिया के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए। इसके बारे में अपने घर और आस-पास के लोगों को भी जागरूक कीजिए ।
उदाहरण-
- सार्वजनिक शिकायत सुविधा – भारत सरकार की इस वेबसाइट पर सभी भारतीय, केंद्र या राज्य सरकारों के किसी भी विभाग से जुड़ी शिकायतें कर सकते हैं। इस वेबसाइट पर भारत की 22 भाषाओं में शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है।
https://pgportal.gov.in - जनसुनवाई – प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ने जनसुनवाई जैसी सुविधाओं को प्रारंभ किया हुआ है। इंटरनेट सुविधाओं का उपयोग भी किया जा सकता है।
https://ift.tt/GLE1pCe - सामाजिक सुरक्षा कल्याण योजनाएँ- -भारत सरकार की सामाजिक कल्याण की योजनाओं के बारे में जानने के लिए निम्नलिखित वेबसाइट का उपयोग किया जा सकता है-
https://ift.tt/tTBzUjH social-security-welfare-schemes
आज की पहेली
नीचे दिए गए अक्षरों से सार्थक शब्द बनाइए-
प्रश्न 1.
ट् क र्ई ओ = टोकरी
उत्तर:
टोकरी
प्रश्न 2.
य् आद = ……………..
उत्तर:
याद
प्रश्न 3.
ई ल व क् = ……………..
उत्तर:
वकील
प्रश्न 4.
झ् ओ ई प ङ् अं = ……………..
उत्तर:
झोंपड़ी
प्रश्न 5.
जद् आ म् ई र अं = ……………..
उत्तर:
ज़मींदार खोजबीन के लिए
प्रश्न 6.
त् आ इ औ क ल् = ……………..
उत्तर:
इकलौता
खोजबीन केलिए
हमारे देश में हजारों सालों से कहानियाँ सुनी-सुनाई जाती रही हैं। सैकड़ों साल पहले लिखी गई कहानियों की पुस्तकें आज भी उपलब्ध हैं। ऐसी ही एक अद्भुत पुस्तक हितोपदेश है जो आज भी विश्व में मनोरंजन और ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से पढ़ी-पढ़ाई जाती है। अपने पुस्तकालय से हितोपदेश की कहानियों की पुस्तक खोजकर पढ़िए और इसकी कोई एक कहानी कक्षा में सुनाइए ।
उत्तर:
छात्र पुस्तकालय से पुस्तक खोजकर और कहानी पढ़कर कक्षा में सुनाएँ।
NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 6 भगवान के डाकिये (Old Syllabus)
प्रश्न-अभ्यास
Question 1:
कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया हैं? स्पष्ट कीजिए।
Solution:
कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश हम तक पहुँचाते हैं। उनके लाए संदेश को हम भले ही न समझ पाए, पर पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ उसे भली प्रकार पढ़-समझ लेतें हैं। जिस तरह बादल और पक्षी दूसरे देश में जाकर भी भेदभाव नहीं करते उसी तरह हमें भी आचरण करना चाहिए।
Question 2:
पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोच कर लिखिए।
Solution:
पक्षी और बादल द्वारा लायी गई चिट्ठियों को पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ पाते हैं।
Question 3:
किन पंक्तियों का भाव है :
(क) पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।
(ख) प्रकृति देश-देश में भेद भाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।
Solution:
(क) पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधें, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।
(ख) और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।
Question 4:
पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?
Solution:
कवि का कहना है कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश लाने का काम करते हैं। पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ भगवान के भेजे एकता और सद्भावना के संदेश को पढ़ पाते हैं। इसपर अमल करते नदियाँ समान भाव से सभी लोगों में अपने पानी को बाँटती है। पहाड़ भी समान रूप से सबके साथ खड़ा होता है। पेड़-पौधें समान भाव से अपने फल, फूल व सुगंध को बाँटते हैं, कभी भेदभाव नहीं करते।
Question 5:
”एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है” – कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
Solution:
एक देश की धरती अपने सुगंध व प्यार को पक्षियों के माध्यम से दूसरे देश को भेजकर सद्भावना का संदेश भेजती है। धरती अपनी भूमि में उगने वाले फूलों की सुगंध को हवा से, पानी को बादलों के रूप में भेजती है। हवा में उड़ते हुए पक्षियों के पंखों पर प्रेम-प्यार की सुगंध तैरकर दूसरे देश तक पहुँच जाती है। इस प्रकार एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
Question 6:
पक्षियों और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं?
Solution:
पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को हम प्रेम, सौहार्द और आपसी सद्भाव की दृष्टि से देख सकते हैं। यह हमें यहीं संदेश देते हैं।
Question 7:
आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।
Solution:
पक्षी और बादल प्रकृति के अनुसार काम करते हैं किंतु, इंटरनेट मनुष्य के अनुसार काम करते है। बादल का कार्य प्रकृति-प्रेमी को प्रभावित करती है किंतु, इंटरनेट विज्ञानं प्रेमी को प्रभावित करती है। पक्षी और बादल का कार्य धीमी गति से होता है किंतु, इंटरनेट का कार्य तीव्र गति से होता है। इंटरनेट एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बात पहुँचाने का ही सरल तथा तेज माध्यम है। इसके द्वारा हम किसी व्यक्तिगत रायों को जान सकते हैं किन्तु पक्षी और बादल की चिट्ठियाँ हमें भगवान का सन्देश देते हैं। वे बिना भेदभाव के सारी दुनिया में प्रेम और एकता का संदेश देते हैं। हमें भी इंटरनेट के माध्यम से प्रेम और एकता और भाईचारा का संदेश विश्व में फैलाना चाहिए।
Question 8:
‘हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका’ क्या है? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।
Solution:
डाकिया’ भारतीय सामाजिक जीवन की एक आधारभूत कड़ी है। डाकिया द्वारा डाक लाना, पत्रों का बेसब्री से इंतज़ार, डाकिया से ही पत्र पढ़वाकर उसका जवाब लिखवाना इत्यादि तमाम महत्त्वपूर्ण पहलू हैं, जिन्हें नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। उसके परिचित सभी तबके के लोग हैं। हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। भले ही अब कंप्यूटर और इ-मेल का ज़माना आ गया है पर, डाकिया का महत्त्व अभी भी उतना ही बना हुआ है जितना पहले था।
कई अन्य देशों ने होम-टू-होम डिलीवरी को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ाये हैं, या इसे सुविधा-शुल्क से जोड़ दिया है, वहीं भारतीय डाकिया आज भी सुबह से शाम तक चलता ही रहता है। डाकिया कम वेतन पाकर भी अपना काम अत्यन्त परिश्रम और लगन के साथ संपन्न करता है। गर्मी, जाड़ा और बरसात का सामना करते हुए वह समाज की सेवा करता है। भारतीय डाक प्रणाली की गुडविल बनाने में उनका सर्वाधिक योगदान माना जाता है।
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